भारत में वाल्मीकि समाज 


क्या है वाल्मीकि जाति , जिसे केंद्र अब जम्मू -कश्मीर में अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करना चाहता है | केंद्र ने इसकी तयारी पूरी कर ली है ,केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस आशय की घोषणा भी की है वैसे तो देश भर के तमाम राज्यों में वाल्मीकि को इस सूची में अलग नामो में जगह मिली है |

जम्मू- कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में शामिल हो चूका है , इस राज्य में वाल्मीकि को शेड्यूल कास्ट यानि अनुसूचित जाति की सूची में रखना केंद्र का विषय है | केंद्र सरकार का समाज कल्याण मंत्रालय सितम्बर के मध्य में इस आशय का एक प्रस्ताव तैयार कर चुका है , फिलहाल ये प्रस्ताव नेशनल कमीसन फॉर शेड्यूल कास्ट के पास भेजा जा चूका है , उसकी राय के बाद इसे केंद्रीय कैबिनेट की मीटिंग में मंजूर करने के लिए रखा जाएगा |

ये भी पढ़े-

Sathya Sai Baba Birthday : बचपन से ही चमत्कार करने लगे थे सत्य साईं बाबा , जानिए कैसे ?

हम क्या पढेंगे -

वाल्मीकि क्या होते है ?
वाल्मीकि कौन थे ?
अनुसूचित जाति क्या होती है ?
संवैधानिक तौर पर इसकी क्या स्थिति होती है ?
कोई भी जाति किस तरह से अनुसूचित जाति में शामिल की जाती है ?
इसकी प्रक्रिया क्या है ?

वाल्मीकि क्या होते है ?



वाल्मीकि या बाल्मीकि मूल रूप से दलित (द्रविड़ ) समुदाय है , इन्हें कई राज्यों में अनुसूचित जाति की सूची में रखा हुआ है , इस समाज के हेला ,डोम ,हलालखोर , लालबेग ,भंगी , चुह्डा , बांसफोड़ ,मुसहर , नमोशुद्रा , मातंग , मेहतर ,महार ,सुपच , सुदर्शन ,गंगापुत्र ,मजहबी ,नायक ,बेदा , हंटर ,कोली आदि ,अलग -अलग राज्यों में आप इन्हें इन्ही नामो से मौजूद पाएंगे |

पंजाब में बसे मजहबी को भी इनका हिस्सा माना जाता है ये सिख धर्म के अनुयायी है ,जिन्हें ये समुदाय अपना गुरु मानता है | वाल्मीकि समुदाय के लोग भगवन वाल्मीकि को ईश्वर का अवतार मानते है, उनके द्वारा रचित श्रीमद रामायण तथा योगवसिष्ठ को पवित्र ग्रंथ मानते है |

ये भी पढ़े-जानिए भारतीय मूल के निवासी ऋषि सुनक कौन है जो हाल ही में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने है ?

वाल्मीकि कौन थे ?

वाल्मीकि एक प्रकार की हिन्दू धर्म की नीच जाति है वालिमिकी का पूरा नाम रत्नाकर वाल्मीकि था इनके ज्ञान प्राप्त होने के पीछे एक कहानी है कहा जाता है कि ये पहले चोर व डाकू थे एक बार वाल्मीकि एक साधू को लुटने पहुच गए वो साधू डरे नही बल्कि इन्हें समझाया की जो तुम कर रहे हो गलत है ,तुम्हे पाप लगेगा और तुम्हे नरक मिलेगा | वाल्मीकि जी ने कहा कि ये तो मै अपने परिवार के पालन- पोषण के लिए करता हूँ , साधू ने कहा जो तुम कर रहे हो इसका कर्म तो तुम्हे अकेले ही भोगना होगा , चाहो तो तुम अपने घर में पूछ के आ सकता हो , जब तक मै यही पर हूँ | 

वाल्मीकि अपने घर गए सभी से पूछा तो सभी ने कहा कि हमें नही पता तुम ये धन कहा से लाते हो इसका कर्म तुम्हे अकेले ही भोगना पड़ेगा इतनी बात सुनकर वाल्मीकि जी साधू के पास गए और उनके चरण पकड़ लिए और कहा मुझे अपने शरण में ले लीजिये | साधू जी ने वाल्मीकि को राम -राम कहने को कहा ,वाल्मीकि के मुह से राम राम ना कहकर मरा -मरा कहते थे धीरे - धीरे राम - राम कहने लगे और उन्हें ज्ञान प्राप्त हो गया और उन्होंने संस्कृत में रामायण ग्रंथ लिखा |

ये भी पढ़े-

जानिए google , youtube , facebook , instagram से online पैसे कैसे कमाए ?

जनसंख्या -

2001 की जनगणना के अनुसार , पंजाब में यह अनुसुचित जाति की आबादी का 11.2% थे | दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में यह दूसरी सबसे आबादी वाली अनुसूचित जाति थी 2011 की जनगणना के अनुसार उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति की कुल आबादी 13,19,241 दर्ज की गई |

वाल्मीकि समाज किस धर्म को मानते है ?



यह मुख्य रूप से हिन्दू धर्म को मानते है पंजाब में निवास करने वाले कुछ सिख धर्म के अनुयायी है |

 जम्मू -कश्मीर में स्थिति - 

जम्मू -कश्मीर में इनकी संख्या बहुत ज्यादा नही है , 50 दशक के आखिर में कई वाल्मीकि परिवार जम्मू - कश्मीर गुए थे अब वहाँ उनकी संख्या 450 -500 परिवारों की है| उनके पंजाब से कश्मीर जाने की भी एक कहानी है दरअसल जम्मू - कश्मीर में सफाई कर्मियों ने हड़ताल कर दी हालत जब ख़राब होने लगे तो पंजाब के C. M .प्रताप सिंह कैरो ने वाल्मीकि समुदाय से वहाँ जाने की गुजारिश की |

आंकड़े बताते है कि जम्मू -कश्मीर में करीब 7.38 फीसदी हिस्सा अनुसूचित जातियों का है , जनसंख्या के लिहाज सर वो 924,991 है |

दक्षिण भारत के वाल्मीकि समाज -



दक्षिण भारत में बोया या बेदार नायक समाज के लोग अपनी पहचान के लिए वाल्मीकि शब्द का प्रयोग करते है | आंध्र प्रदेश में इन्हें बोया वाल्मीकि या वाल्मीकि के नाम से जाना जाता है ,बोया या बेदार नायक पाम्परिक रूप से एक शिकारी और मार्शल जाति है |

आंध्र प्रदेश में मुख्या रूप से इन्हें अनंतपुर ,कुरनूल और कडप्पा जिलो में केन्द्रित है | कर्नाटक में यह मुख्य रूप से यह बेलारी , रायचूर , और चित्रदुर्ग जिलो में पाए जाते है | लेकिन अब इन्हें अनुसूचित जनजाति के रूप में सुचीबध्द किया गया है |जबकि तमिलनाडु में इन्हें पिछड़ी जाति में रखा गया है |

ये भी पढ़े-

जानिए पहले भारतीय वैज्ञानिक कौन थे जिन्होंने प्रकाश के प्रकीर्णन की खोज की ?

इन्हें संविधान में कहाँ रखा गया है ?

भारत के संविधान के अनुच्छेद 366 (24 ) "अनुसूचित जातियों " से ऐसी जातीयां , मूलवंश या जनजातियों अथवा ऐसी जातियों , मुलवंशो या जनजातियों के भाग या उनमे के यूथ अभिप्रेत है जिन्हें इस संविधान के प्रयोजनों के लिए अनुच्छेद 341 के अधीन अनुसुव्हित जातीयां समझी जाता है |

ऐसे ही Ancient story या current news पढने के लिए के हमारे site को visit करे -

https://krantistory.blogspot.com/