स्वतंत्रता संग्रामी भगत सिंह                                          

 भगत सिंह के पिता का नाम सरदार किशन सिंह था और माता का नाम विद्यावती था | यह सिक्ख परिवार से थे | अमृतसर में 13 अप्रैल १९१९ को हुए जलियावाला बाग़ हत्याकांड ने भगत सिंह की सोच पर गहरा प्रभाव डाला था |लाहौर के नेशनल कॉलेज की पढाई छोड़कर भगत सिंह ने भारत की आजादी के लिए नौजवान भारत की स्थापना की थी | काकोरी कांड में रामप्रसाद बिस्मिल सहित ४ क्रांतिकारियों को फाँसी व १६ अन्य को कारावास की सजाओ से भगत सिंह इतने अधिक उद्विन्ग हुए की पंडित चंद्रशेखर आजाद के साथ उनकी पार्टी हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन से जुड़ गए और उसे एक नया नाम दिया हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन | इस संगठन का उद्देश्य सेवा , त्याग और पीड़ा झेल सकने वाले नवयुवक तैयार करना था | भगत सिंह ने राजगुरु के साथ मिलकर 17 दिसम्बर १९२८ को लाहौर में अंग्रेज पुलिस अधिकारी J . P . सांडर्स की हत्या की | इस कार्रवाई में क्रन्तिकारी चंद्रशेखर आजाद ने उनकी पूरी सहायता की थी | क्रन्तिकारी साथी बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर भगत सिंह ने वर्तमान नयी दिल्ली स्थित ब्रिटिश भारत की तत्कालीन सेंट्रल अस्सेम्बली के सभागार संसद भवन में 8 अप्रैल १९२९ को बम फेंका |

लाला जी की म्रत्यु का प्रतिशोध -
१९२८ में साइमन कमीशन के बहिष्कार के लिए भयानक प्रदर्शन हुए | इन प्रदर्शनों में भाग लेने वालो पर अंग्रेजी शासन ने लाठीचार्ज भी किया | इसी लाठी चार्ज से आहात होकर लाला लाजपत राय की म्रत्यु हो गयी | एक गुप्त योजना के तहत इन्होने पुलिस अधिकारी को मारने की योजना सोची | योजना के अनुसार भगत सिंह और राजगुरु लाहौर कोतवाली के सामने व्यस्त मुद्रा में टहलने लगे | जयगोपाल अपनी साइकिल को लेकर ऐसे बैठ गए जैसे ख़राब हो गयी हो | गोपाल के इशारे पर दोनों सचेत हो गए | चंद्रशेखर आजाद डी .ए . वी . स्कूल के दीवाल के पास खड़े होकर रक्षक का कार्य कर रहे थे |सांडर्स के आते ही राज गुरु ने एक गोली उसके सिर पर मारी और भगत सिंह ने 3 -  4 गोली उसके मरने तक मारा |ये दोनों जैसे ही भाग रहे थे एक सिपाही ने इनका पीछा किया , चन्द्र शेखर आजाद ने उसे सावधान किया -आगे बढे तो गोली मार दूंगा | नही मानने पर आजाद ने उसे गोली मार दी | 







जेल के दिन -
जेल में भगत सिंह ने करीब दो साल रहे , इस दौरान वे लेख लिख कर अपने क्रन्तिकारी विचार व्यक्त करते रहे | जेल में रहते हुए उनका अध्ययन बराबर जरी रहा |अपने लेखो में उन्होंने कई तरह से पूंजीपतियों को अपना शत्रु बताया है |उन्होंने लिखा की मजदूरो का शोसन करने वाला चाहे एक भारतीय ही क्यों ना  हो , वह उनका शत्रु है |