ब्रह्मा जी को घमण्ड -



एक बार सुमेरु पर्वत पर बैठे हुए ब्रह्मा जी के पास जाकर देवताओ ने उनसे अविनाशी तत्व बताने का अनुरोध किया, शिवजी की माया से मोहित ब्रह्मा जी उस तत्व को ना जानते हुए भी इस प्रकार कहने लगे - मै ही इस संसार को उत्पन्न करने वाला स्वयंभू, अजन्मा , एक मात्र ईश्वर , अनादी भक्ति , ब्रह्म घोर निरंजन आत्मा हूँ |
           मै ही प्रवृत्ति उर निवृत्ति का मूलाधार , सर्वलीन पूर्ण ब्रह्म हूँ | ब्रह्मा जी को मुनि मंडली में विद्यमान विष्णु जी ने उन्हें समझाते हुए कहा की मेरी आज्ञा से तो तुम स्रष्टि के रचयिता बने हो, मेरा अनादर करके अपने प्रभुत्व की बात कैसे कर रहे हो ?
     इस प्रकार ब्रह्मा और विष्णु अपना -अपना प्रभुत्व स्थापित करने लगे और अपने पक्ष के समर्थन में शास्त्र वाक्य उद्घृत करने लगे |

यह भी पढे :

Hanuman Jayanti : कौन थे हनुमान जी के पिता? जानिए उनके जन्म की कहानी ?

शिव के पक्ष में वेदों का निर्णय -



अंततः वेदों से शिवशक्ति पूछने का निर्णय हुआ तो स्वरुप धारण करके आये चारो वेदों ने क्रमशः अपना मत इस प्रकार दिया -
ऋग्वेद -  जिसके भीतर समस्त भुत निहित है तथा जिससे सब कुछ प्रवृत्त होता है और जिसे परमात्मा कहा जाता है, वह एक रौद्र रूप ही है |

यजुर्वेद - जिसके द्वारा हमें वेद भी प्रमाणित होते है तथा जो ईश्वर के सम्पूर्ण यज्ञो तथा योगो से भजन किया जाया है, सबका द्रष्टा एक शिव ही है |

सामवेद -  जो समस्त संसारीजनों को भरमाता है, जिसे योगी जन ढूढते है और जिसकी भांति से सारा संसार प्रकाशित होता है, वे एक त्र्यम्बक शिव जी है |

अथर्वेद -  जिसकी भक्ति से साक्षात्कार होता है और जो सब या सुख -दुःख अतीत अनादी ब्रह्म है, वे केवल एक शंकर जी ही है |
यह भी पढ़े :

जानिए , क्या है वो वाल्मीकि समुदाय जिसे कश्मीर में एससी लिस्ट में डाला जा सकता है ? : Walmiki samuday


विशाल ज्योति शिव प्रकट -



विष्णु ने वेदों के इस कथन को प्रताप बताते हुए नित्य शिव से रमण करने वाले, दिगंबर पीतवर्ण ,धूलि धूसरित प्रेम नाथ , कुवेत धारी , सर्वा वेष्टित, व्रपन वाही, निःसंग , शिव जी को पर ब्रह्म मानने से इंकार कर दिया | ब्रह्म -विष्णु विवाद को सुनकर ओंकार ने शिव जी की ज्योति, नित्य और सनातन परब्रह्म बताया परन्तु फिर भी शिव माया मोहित ब्रह्मा विष्णु की बुध्दि नही बदली |


        उस समय उन दोनों के मध्य आदि अंत रहित एक ऐसी विशाल ज्योति प्रकट हुई जिससे ब्रह्मा का पंचम सिर जलने लगा, इतने में त्रिशूलधारी नील - लोहित शिव वह प्रकट हुए तो अज्ञानतावश ब्रह्मा जी ने उन्हें अपना पुत्र समझ कर अपनी शरण में आने को कहने लगे |

यह भी पढ़े :

FIFA World Cup 2022 : घाना के खिलाफ गोल दागते ही रोनाल्डो ने रचा इतिहास , ऐसा करने वाले दुनिया के पहले खिलाडी


क्रुध्द हुए शिव जी -



  ब्रह्मा जी संपूर्ण बाते सुनकर शिव जी अत्यंत क्रुध्द हुए औए उन्होंने तत्काल भैरव को प्रकट कर उससे ब्रह्मा पर शासन करने का आदेश दिया | आज्ञा का पालन करते हुए भैरव ने अपनी बायीं ऊँगली के नखाग्र से ब्रह्मा जी का पंचम सिर कट डाला | भयभीत ब्रह्मा शत रुद्री का पथ करते हुये शिव जी के शरण हुए , ब्रह्मा और विष्णु दोनों को सत्य की प्रतीति हो गयी और वे दोनों शिव जी की महिमा गान करने लगे, यह देखकर शिवजी शांत हुए और उन दोनों को अभयदान दिया |


ऐसे ही पौराणिक story पढने के लिए हमारे site-https://www.pridestory.in  को visit करे