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Shiv Ji Ne Ganga Ko Jatao Me Bandh Liya : शिव जी ने अपनी जटाओं में गंगा को कैसे बांध लिया, जानिए पूरी कहानी ?

 भगवान भागीरथ की कठोर तपस्या 



रघुवंश में भगवान राम के पूर्वज भागीरथ एक प्रतापी राजा थे | उन्होंने अपने पूर्वजों को जीवन - मरण के दोष से मुक्त करने के लिए गंगा को पृथ्वी में लेन की ठानी इसके लिए उन्होंने कठोर तपस्या आरम्भ की | गंगा उनकी तपस्या से प्रसन्न हुयी तथा स्वर्ग से पृथ्वी में आने के लिए तैयार हो गयी |

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गंगा जी का घमण्ड -



गंगा जी ने भागीरथ से कहा कि यदि वे सीधे स्वर्ग से पृथ्वी पर गिरेंगी तो पृथ्वी उनका वेग सहन नही कर पाएंगी और रसातल में चली जायेंगी | यह सुनकर भागीरथ सोच में पड़ गए | गंगा को यह अभिमान था कि कोई उसका वेग सहन नही कर सकता |

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शिव जी का प्रकट होना -



तब भागीरथ जी भगवान भोलेनाथ की उपासना शुरू कर दी | शिव जी गंगा का घमण्ड दूर करने के लिए, संसार के दुखो को हरने वाले शिव शम्भू प्रसन्न हुए और भागीरथ से वर मांगने को कहा | भागीरथ ने अपना सब मनोरथ उनसे कह दिया | गंगा जैसे ही स्वर्ग से पृथ्वी पर उतरने लगी शिव जी ने उन्हें जटाओ में कैद कर लिया | तब गंगा जी छटपटाने लगी और शिव जी से माफ़ी मांगी | तब शिव ने उसे जटा से एक छोटे से पोखर में छोड़ दिया, जहाँ से गंगा सात धाराओं में प्रवाहित हुई |

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Q-गंगा शिव की क्या लगती है ?
Ans-महादेव ने गंगा इसल‍िए की थी धारण

यह सुनकर भागीरथ ने भोलेनाथ की आराधना की। शिव उनकी पूजा से प्रसन्‍न हुए और वरदान मांगने को कहा। तब भागीरथ ने उनसे अपने मनोरथ कहा। इसके बाद जैसे ही गंगा पृथ्‍वी पर अवतरित हुई तो भोलेनाथ ने उनका अभिमान चूर करने के लिए उन्‍हें अपनी जटाओं में कैद कर लिया।
Q -गंगा माँ का पति कौन है ?
Ans -जब महाराज प्रतीप को पुत्र की प्राप्ति हुई तो उन्होंने उसका नाम शांतनु रखा और इसी शांतनु से गंगा का विवाह हुआ।
Q -गंगा शिव की जटा में कैसे आई ?
Ans -भागीरथ ने अपना सब मनोरथ उनसे कह दिया। गंगा जैसे ही स्वर्ग से पृथ्वी पर उतरने लगीं गंगा का गर्व दूर करने के लिए शिव ने उन्हें जटाओं में कैद कर लिया। वह छटपटाने लगी और शिव से माफी मांगी। तब शिव ने उसे जटा से एक छोटे से पोखर में छोड़ दिया, जहां से गंगा सात धाराओं में प्रवाहित हुईं।




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