Moral Story

https://www.pridestory.in

Raja Dashrath Aur Unke Putra RamJi :कौन थे राजा दशरथ जिनके यहाँ भगवान राम जी का जन्म हुआ था, कहां पर है ये स्थान ?

 प्रजापालक राजा दशरथ 



वैवस्वत मनु के वंश में अनेक शूरवीर, पराक्रमी,प्रतिभाशाली,तथा यशस्वी राजा हुए जिनमे से राजा दशरथ भी एक थे | राजा दशरथ वेदों के मर्मज्ञ , धर्मप्राण , दयालु , रणकुशल और प्रजापालक थे | उनके राज्य में प्रजा कष्टरहित , सत्यनिष्ठ एवं ईश्वरभक्त थी | उनके राज्य में किसी का किसी के प्रति द्वेषभाव का सर्वथा अभाव था |

राजा दशरथ की नगरी (रामजन्म भूमि नगरी) -



कौशल प्रदेश , जिसकी स्थापना वैवस्वत मनु ने की थी , पवित्र सरयू नदी के तट पर स्थित है | सुन्दर एवं सम्रध्द अयोध्या नगरी इस प्रदेश की राजधानी है | यह अयोध्या नगरी वर्तमान में उत्तर प्रदेश राज्य में है जिसका नाम बदल कर फ़ैजाबाद कर दिया गया था बाद में बीजेपी के नेता और और प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्य नाथ जी के द्वारा इसे पुनः नाम बदल कर अयोध्या कर दिया गया है |

यह भी पढ़े :

Shiv Ji Ne Ganga Ko Jatao Me Bandh Liya : शिव जी ने अपनी जटाओं में गंगा को कैसे बांध लिया, जानिए पूरी कहानी ?

राजा दशरथ को पुत्र का अभाव -



एक दिन दर्पण में अपने कृष्णवर्ण केशों के मध्य एक श्वेत रंग के केश को देखकर महाराज दशरथ विचार करने लगे कि अब मेरे यौवन के दिनों का अंत निकट है और अब तक मै निःसंतान हूँ | मेरा वंश आगे कैसे बढेगा तथा किसी उतराधिकारी के अभाव में राज्य का क्या होगा ? इस प्रकार विचार करके उन्होंने ने पुत्र प्रति हेतु पुत्रयेश्ठी यज्ञ करने का संकल्प किया | अपने कुलगुरु वशिष्ठ जी को बुलाकर उन्हें अपना मंतव्य बताया तथा यज्ञ के लिए उचित विधान बताने की प्रार्थना की | 
                                उनके विचारो को उचित तथा युक्तियुक्त जान कर गुरु वशिष्ठ बोले , हे राजन ! पुत्रयेष्ठी यज्ञ करने से अवश्य ही आपकी मनोकामना पूरी होगी ऐसा मेरा विश्वास है |

 यह भी पढ़े :

Ardhdanarishwar Shiv Aur Shiv Shakti : शिव को अर्ध्दनारीश्वर शिव क्यों कहा गया है, जानिए पूरी कहानी ?

पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ -



गुरु वशिष्ठ की मंत्रणा के अनुसार शीघ्र ही महाराज दशरथ ने सरयू नदी के उत्तरी तट पर सुसज्जित एवं अत्यंत मनोरम यज्ञशाला का निर्माण करवाया तथा मंत्रियो और सेवको को साडी व्यवस्था करने की आज्ञा दी , शीघ्रातिशीघ्र अश्वमेघ यज्ञ करने तथा इसके लिए एक सुन्दर श्यामकर्ण अश्व छोड़ने की व्यवस्था करे | महाराज दशरथ ने रनिवास में जा कर अपनी तीनो रानियों कौशिल्या , कैकेयी और सुमित्रा को यह शुभ समाचार सुनाया | महाराज के वचनों को सुनकर सभी रानियाँ प्रसन्न हो गयी | 

ऐसे ही पौराणिक , ऐतिहासिक और मनोरम कहानियाँ पढने के लिए हमारे site - https://krantistory.blogspot.com/ को visit करे |

Q -राजा दशरथ किसका अवतार थे ?
Ans -उन्होंने कहा कि पुराणों के अनुसार राजा दशरथ पूर्व जन्म में स्वायम्भु मनु थे। जबकि माता कौशल्या पूर्व जन्म में स्वायम्भु मनु की प|ी शतरूपा थी। दोनों ने भगवान विष्णु को पुत्र रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की।
Q -राजा दशरथ ने तीन शादी क्यों की थी ?
Ans -इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏🙏 आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि राजा दशरथ की एक पुत्री थी जो भगवान श्री राम से 25 वर्ष बड़ी थी। जिसका नाम शांता था। वे भगवान श्री राम की सगी बहन थी बाद में उसे अंग के राजा रोमपाद और उसकी पत्नी वर्शिनी गोद ले लिया था। कौशल्या उसकी सगी माता एवं कैकई और सुमित्रा उनकी सौतेली मां थी।
Q -राम कौन से भगवान थे ?
Ans -भगवान विष्णु के सातवें अवतार

भगवान राम को भगवान विष्णु के 10 अवतारों में 7वां अवतार माना जाता है। भगवान राम से पहले भगवान विष्णु ने मत्स्य (मछली), कूर्म (कछुआ), वराह (सूअर), नृसिंह (मनुष्य एवं सिंह), वामन (बौना) और परशुराम के रूप में जबकि बाद में कृष्ण, बुद्ध और कल्कि (अवतार होना बाकी) के रूप में अवतार लिया था।
visit Here for more Read - https://krantistory.blogspot.com/


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ