Moral Story

https://www.pridestory.in

Ardhdanarishwar Shiv Aur Shiv Shakti : शिव को अर्ध्दनारीश्वर शिव क्यों कहा गया है, जानिए पूरी कहानी ?

 स्रष्टि की रचना 



स्रष्टि के प्रारम्भ में जब ब्रह्मा जी द्वारा रची गयी मानसिक स्रष्टि विस्तार ना पा सकी, तब ब्रह्मा जी को बहुत दुःख हुआ | उसी समय आकाशवाणी हुई ब्राह्मण ! अब मैथुनी स्रष्टि करो, आकाशवाणी सुनकर ब्रह्माजी ने मैथुनी स्रष्टि रचने का निश्चय तो कर लिया, किंतु उस समय तक नारियो की उत्पत्ति ना होने के कारण वे अपने निश्चय में सफल नही हो सके |

यह भी पढ़े :

Shiv Ke Krodh Ka Raudra Rup: शिव जी ने रौद्र रूप क्यों धारण किया , जानिए पूरी कहानी ?

ब्रह्मा जी का तप -



ब्रह्मा जी ने सोचा कि परमेश्वर शिव की कृपा के बिना मैथुनी स्रष्टि नही हो सकती | अतः वे उन्हें प्रसन्न करने के लिए कठोर तप करने लगे | बहुत दिनों तक ब्रह्मा जी अपने ह्रदय में प्रेमपूर्वक महेश्वर शिव का ध्यान करते रहे | उनके तीव्र तप से प्रसन्न होकर भगवन उमा -महेश्वर ने उन्हें अर्ध्दनारीश्वर रूप में दर्शन दिया |

शिव का अर्ध्दनारीश्वर रूप -



प्रकट होकर महेश्वर शिव ने कहा - पुत्र ब्रह्मा, तुमने प्रजाओ की वृध्दि के लिए जो कठिन तप किया है, उससे मै परम प्रसन्न हूँ | मै तुम्हारी इच्छा अवश्य पूरी करूँगा | ऐसा कहकर शिव जी ने अपने आधे भाग से उमा देवी को अलग कर दिया | ब्रह्मा ने कहा - एक उचित स्रष्टि निर्मित करने में अब तक मै असफल रहा हूँ | मै अब स्त्री - पुरुष के समागम  से मै प्रजाओ को उत्पन्न कर स्रष्टि का विस्तार करना चाहता हूँ | परमेश्वर शिव ने अपनी भौंहों की मध्य भाग से अपने ही सामान कान्तिमती एक शक्ति प्रकट की | स्रष्टि निर्माण के लिए शिव की वह शक्ति ब्रह्माजी की प्रार्थना के अनुसार दक्ष की पुत्री हो गयी |

यह भी पढ़े :

Shiv Ke Krodh Ka Raudra Rup: शिव जी ने रौद्र रूप क्यों धारण किया , जानिए पूरी कहानी ?

स्रष्टि का निर्माण -



इस प्रकार ब्रह्मा जी को उपकृत कर तथा अनुपम शक्ति देकर दी शिव महादेव जी के शरीर में प्रविष्ट हो गयी, यही अर्ध्दनारीश्वर शिव का रहस्य है और इसी से आगे स्रष्टि का संचालन हो पाया जिसके नियामक शिवशक्ति ही है |

यह भी पढ़े :

Shiv Aur Sati Ka Vivah: शिव और सती का विवाह , सती कौन थी जानिए पूरी कहानी ?

ऐसे ही पौराणिक और ऐतिहासिक तथा boigraphy पढने के लिए हमारे site को visit- https://www.krantistory.blogspot.com  करे 

Q-भगवान शिव को अर्ध्दनारीश्वर क्यों कहा गया है ?
Ans-ब्रह्मा के कठोर तप से शिव प्रसन्न हुए और ब्रह्मा जी की समस्या के समाधान हेतु शिव अर्धनारीश्वर स्वरूप में प्रकट हुए। शिव जी ने जब इस स्वरूप में दर्शन दिया तब उनके शरीर के आधे भाग में साक्षात शिव नजर आए और आधे भाग में स्त्री रूपी शिवा यानि शक्ति।
Q -अर्ध्दनारीश्वर शिव की पूजा से क्या होता है ?
Ans -पंडितों के अनुसार सावन के तीसरे सोमवार को अर्द्धनारीश्वर शिव का पूजन किया जाता है। इनकी विशेष पूजन से अखंड सौभाग्य, पूर्ण आयु, संतान प्राप्ति, संतान की सुरक्षा, कन्या विवाह, अकाल मृत्यु निवारण व आकस्मिक धन की प्राप्ति होती है।
Q -अर्ध्दनारीश्वर शिव का अर्थ क्या होता है ?
Ans -अर्धनारीश्वर स्वरुप का अर्थ है आधी स्त्री और आधा पुरुष। भगवान शिव के इस अर्धनारीश्वर स्वरुप के आधे हिस्से में पुरुष रुपी शिव का वास है तो आधे हिस्से में स्त्री रुपी शिवा यानि शक्ति का वास है। भगवान के इस रुप से हमें संकेत दिया जाता है की स्त्री और पुरुष एक ही सिक्के के दो पहलु हैं और दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे हैं।
  

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ