सत्य साईं बाबा (satya sai Baba ) के बारे में कई कहानियां है . उन पर संदेह करने वालो से कही ज्यादा संख्या उनके मानने वालो की है .उनके बचपन के बारे में कई तरह के दावे है लेकिन यह माना जाता है कि वे जल्दी ही चमत्कार (Miracles ) करने लगे थे और उन्होंने जल्दी ही खुद के जीवन को शिरडी का साईं बाबा का अगला जन्म घोषित कर दिया था . 23 नवम्बर को उनका जन्मदिन है |
आलोचनाए एवं प्रसिध्दी -
आज की तारीख में शायद ही कोई चमत्कारी बाबा (Saint ) हो जो विवादों में ना हो . लेकिन कुछ बाबा ज्यादा प्रसिध्द होते है तो कुछ ज्यादा बदनाम , कुछ के साथ ज्यादा विवाद होते है तो कुछ के भक्तो की संख्या ज्यादा होती है . ऐसा ही एक प्रसिध्द एवं विवादित बाबा थे सत्य साईं बाबा ( Satya Sai Baba ) . कभी वे अपने दिखाए चमत्कारों ( Miracles ) के लिए जाने जाते थे तो कभी उन्ही की आलोचना के लिए उन्हें पाखंडी भी कहा जाता था . उनके दान के पैसो से गरीबो के लिए मुफ्त इलाज के लिए बहुत बड़े अस्पताल भी और उनके मानने वालो का उन पर विश्वास बहुत गहरा था . बड़े -बड़े राजनेता से लेकर बॉलीवुड और सचिन तेंदुलकर जैसे खिलाडी तक उनके भक्तो में गिने जाते है |
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गीत संगीत वाले परिवार से संबंध -
रत्नाकरम सत्यनारायण राजू का जन्म 23 नवम्बर 1926 को आंध्र प्रदेश के पुत्तपर्थी गाँव में हुआ था , भटराजू परिवार में हुआ था . यह परिवार धार्मिक लोकगीत आदि गाने बजने वाले समुदाय से सम्बंधित माना जाता है . वे अपने माता - पिता की पांच में चौथी संतान थे . सत्य साईं बाबा बचपन से ही बहुत असामान्य रूप से बुध्दिमान थे |
अध्यात्म की ओर ज्यादा झुकाव -
लेकिन उनका पढाई लिखाई में रुझान देखने को नही मिला बल्कि उनकी अध्यात्म में शुरू से ही रुचि थी | वे भक्ति संगीत , नृत्य और नाटक में भी असामान्य रूप से प्रतिभाशाली देखे गए थे | बताया जाता है कि वे बचपन से ही हवा में भोजन या मिठाई पैदा कर देने जैसे चमत्कार करने में सक्षम थे |
यह भी बताया जाता है कि सत्य 13 साल तक सामान्य बच्चे की तरह ही जिए और 8 मार्च 1940 को उनके जीवन का सबसे परिवर्तनकारी दिन आया | इस दिन जब उर्वकोंदा में अपने बड़े भाई शेषमा राजू के साथ रह रहे थे , तब 14 साल के सत्या को एक बिच्छू ने कट लिया था और वे कई घंटो तक मूर्छित हो गए थे |
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पिता के गुस्सा होने पर किया ऐलान -
एक ओझा डाक्टर ने तो उनके इलाज के नाम पर उन्हें बहुत प्रताड़ित तक कर दिया था तभी 23 मई 1940 को एक और घटना हुई , सत्या ने अपने घर के सभी सदस्यों को अपने पास बुलाकर और जैसे की बताया जाता है कि उन्होंने चमत्कारिक रूप से ही प्रसाद और फूल पैदा करके उन्हें दिया |
इससे उनके पिता गुस्सा हो गए क्योकि उन्हें लगा कि सत्या कोई जादू टोना किया है उन्होंने एक छड़ी लेकर सत्या को मरने की धमकी देते हुआ कहा कि अगर सत्या , यानि सत्या के अन्दर आई आत्मा , ने यह नही बताया कि वह वास्तव में कौन है तो वे उनकी पिटाई कर देंगे , इस पर सत्या ने शांति , लेकिन द्रढ़ता से उनसे कहा ," मै साईं बाबा हूँ " उनके कहने का मतलब था कि वे शिरडी के साईं बाबा है |
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यह पहली बार था जब सत्या ने स्वयं को साईंबाबा घोषित किया था , शिरडी के साईं बाबा की छवि 19 वीं सदी के अंत और 20 वीं सदी के शुरुआत के दौर के संत के रूप में प्रसिध्द थे |
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